संदेह घातक है

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संदेह सफलता का सबसे प्रबल शत्रु है। संदेह करने वाले व्यक्ति कभी सफल नहीं हो सकते। यह संदेह हर बार हमारी प्रगति को रोक देता है।हम जब भी कोई काम आरम्भ करने लगते हैं तो यह मनहूस संदेह हमारे मार्ग थे बाधा बनकर खड़ा हो जाता है, इसीलिए महान लेखक शेक्सपीयर ने कह “हमारे संशय द्रोही हैं, हम जिन श्रेष्ठ कामों को हस्तगत कर सकते हैं-उन्हें हमारे हाथ से छुड़वा देते हैं क्योंकि इनसे हमारे मन में भय उत्पन्न हो जाता है।

 

अकसर हम सभी को ही इस बात का अनुभव होगा कि किसी भी काम को पूरे उत्साह तथा दृढ़ निश्चय के साथ अपने हाथ में लेते समय हमारे मन में यह संदेह अचानक ही उठ खड़ा होता है।वह हमारे दृढ़ निश्चय का एक सिरा पकड़कर हमारी शक्ति को चूस लेता है। वह हमारे उत्साह का गला घोट देता है। तब हम काम करने से झिझकने लगते हैं।हमारा मन डावांडोल सा होकर यह सोचने पर विवश हो जाता है कि यह काम होगा भी कि नहीं। संदेह कहता है धीरे चलो। इतनी जल्दी किसलिये? काम आरम्भ करने का अभी अवसर ही कहां आया है? अच्छे समय के लिए प्रतीक्षा करो।

 

उसके पश्चात्‌ उस कार्य ने सम्भवतः हमारे जीवन की सारी आशाओं को धारण किया होता है। जिस कार्य को हम गौरवपूर्ण सफलता के साथ पूर्ण करते जा रहे होंगे उसे हम शुरू ही नहीं करते |हम तो मात्र सोच और संकोच में ही अपना समय गवां देते हैं। फिर उसका परिणाम कया होता है कि उस काम को शुरू करने का हमारा उत्साह ही समाप्त हो जाता है। मैं कई बार यह बात सोचता हूं कि हाथ में लिए काम को पूर्ण करने की अपनी योग्यता में जिन लोगों को संदेह होता है, जो यह करें या वो करें के जाल में फंसे रहते हैं, जो निश्चय ही नहीं कर पाते कि उन्होंने करना क्‍या है, ऐते लोग कामचोर भगोड़े हैं, वे कभी भी किसी काम में सफल नहीं हो सकते उन्हें कभी किनारा नहीं मिलेगा। बस मंझधार में ही फंसे रहेंगे।

 

आज लाखों-करोड़ों लोग ऐसे हैं जो योग्यता होने पर भी विशेष उन्नति हीं कर पाए। यदि उनका संदेह पंगु न बना देता तो वे महान बन जाते, वें ही पुरुष बनते परन्तु दुःख तो इस बात का था कि उनमें बड़े बनने का – आत-विश्वास ही नहीं था। संदेह को आप कैसे अपने जीवन से दूर कर सकते हैं? जब विचारोत्तेजना पूर्वक यह सोचा जाए और यह विश्वास किया जाए कि-मैं यह काम कर सकता हूँ। यह निश्चय कि आप महान पुरस्कार के लिए काम कर रहे हैं और इसमें आपको निश्चित सफलता मिलेगी और मैं जो भी काम करना चाहता हूं उसे अवश्य करूंगा। बस यह विचार ही आपकी काम करने की शक्ति को बढ़ा देता है। यह सफलता का रहस्य है। इसके मिलते ही आप लगन, परिश्रम और शक्ति से काम को पूरा करने के लिए जुटते हैं।

 

कई लोगों को मैने देखा है कि वे सर्वोत्तम प्रयत्न को कार्य करने में नहीं लगाते। वे मात्र उत्कृष्ट प्रयत्न ही करते हैं, उत्कृष्टतम्‌ नहीं। मगरं यह नहीं समझ पाते कि उत्कृष्टतम्‌ परिणाम कभी उत्कृष्ट प्रयत्त से तो नहीं निकलते। विश्वास तो आपका प्रधानमंत्री है। इससे तो असम्भव कार्य भी सम्भव हो जाते हैं। संदेह घातक है। वह हमारे प्रयत्नों का वध कर देता है। कोई भी प्राणी जो संशय में डूबा हो अपना सर्वोत्तम प्रयतत नहीं कर सकता। बहुत-से लोग इस संदेह में डूबे ही अपना काम आरम्भ करते हैं। उन्हें अपने भविष्य के बारे में भी अनिश्चितता की भावनायें सताती हैं। वे कर्त्तव्य से मजबूर होकर काम करते हैं जबकि आदर्श की प्रेरणा से काम को आरम्भ करना चाहिये।

 

. वास्तव में ही हमारे संदेह द्रोही हैं। धोखेबाज हैं। वे हमें भी द्रोही बनने पर विवश करते हैं। हमें उन कामों के भी विरुद्ध कर देते हैं जिन्हें हम पूरा करना चाहते थे।हमारे उत्साह को भी नष्ट कर देते हैं। वह हमारी आशा की भी हत्या कर देते हैं। फिर एक दिन भूत बनकर हमारे सामने खड़े हो जाते हैं, और हमारा विनाश कर देते हैं। हमारे लिये यह आवश्यक है कि हम संदेह रूपी शत्रु को अपने मन से . दूर निकाल फेंकें। उसे बाहर निकालकर हमेशा के लिये अपने मन के द्वार बन्द कर लें। संदेह इस प्रकार का शत्रु है जो मन में आने के पश्चात हमारे लिए घातक बन जाता है।

यदि आपके मन में संदेह ही भरा हो तो आप क्या काम कर पायेंगे? सत्य तो यही है कि संदेह को मन में बैठाकर कोई रचनात्मक और महान कार्य नहीं कर पायेंगे। संदेही आदमी की बुद्धि भी नष्ट हो जाती है। जब भी आप किसी काम के सम्बन्ध में उस पर बारीकी से ध्यान देते हुए सोचते हैं कि आपको करना क्या है? अपना मार्ग निर्धारित करते समय संदेह को मन से ही निकाल दें । इससे आपकी योजना नष्ट होने से बच जायेगी। इसलिए संदेह को भगाकर अपना काम लगातार करते जाएं, यह बात न भूलें कि जिन लोगों ने इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ी है वही महत्वपूर्ण ऐतिहासिक कार्य कर गए हैं।
प्रत्येक इन्सान के दो रूप होते हैं। लेकिन उसका विशाल स्वरूप सदा छुपा रहता है, क्योंकि वह अपने आपको छोटा ही समझता रहता है। आम आदमी उसके छोटे स्वरूप को ही जानते हैं ।वे उसके विशाल स्वरूप की कल्पना भी नहीं कर सकते क्योंकि जब तक वह स्वयं भी वैसा ही था। वह नहीं जानता था कि उसके अंदर एक दिव्य प्रकाश है जो अब तक प्रकट नहीं हो सका और यदि अब वह प्रकट हो गया तो उसकी महानता को यह संसार अवश्य मानेगा। जब तक भय, कायरता के कारण, संकोच के कारण और शर्म के कारण हमने उसे अन्दर दबाया उसे बाहर न आने दिया । हम स्वयं उससे डरते रहे। हमारे संदेह ने उसे भी दवाएं रखा। परन्तु अब वह समय आ गया है कि हम अपने अन्दर के सर्वशक्तिमान इस देव को बाहर निकालें।
क्या आप यह जानने का कष्ट करेंगे कि आपका प्रत्येक संदेह आपकी आशाओं को मिटा देने वाला है? आपकी इच्छाओं को मारने वाला है?आप जितनी बार संशय करते हैं उतनी ही बार अपने उत्साह को क्षीण करते हैं और साथ ही अपनी अयोग्यता को भी स्वीकार करते हैं। उस कार्य के पूरा होने में भी आपको संदेह हो जाता है जो इतने उत्साह से शुरू किया था। क्या आप यह जानते हैं कि मात्र संदेह के कारण ही सरल काम भी आपको कठिन लगता है और आपका हृदय स्वयं ही असफलता की झलक मारने लगता है।आप जो भी काम आरण्म करें उसके बारे में अपनी योग्यता को कम न समझें। संदेह को तो अपने निकट ग आने दैं। बस अपनी सफलता की ही भविष्यवाणी करें-मैं इसमें जूूर सफल हूंगा। पैं यह काम अयश्य करूंगा ।
जिन लोगों के मन में विश्वास होता है यहां पर संदेह का -‘ काम? विश्वास के सहारे तो कठिन से कठिन काम भी सरल बन जाता है। हीनता, पतन और तुच्छता की बातें मत कीजिए। उसके स्थान पर वीरता, उन्नति और प्रगति की बातें कीजिए। इनसे आपके मन के संदेह तो मिटेंगे ही साथ ही सफलता भी आपका साथ देगी । आशा ही आपका सबसे बड़ा साथी है। आशा के सिर पर तो यह सारा संसार खड़ा है, निराशा शत्रु है। भय उससे भी बड़ा शत्रु…और संदेह पूरी मानव जाति का शत्रु है। इस बात को ठीक से समझ लें । किसी आदमी को ऊपर की तरफ़ खींचा नहीं जाता है। इसके बजाये, उसे बस सहारा दिया जाता है।
 आज के दौर में किसी के पास इतनी फुरसत या इतना धीरज नहीं है कि वह किसी दूसरे को नौकरी की सीढ़ी पर ऊपर खींचे । किसी व्यक्ति को इसलिये चुना जाता है क्योंकि वह बाक़ी सभी लोगों से ऊंचा नजर आता है। हमें ऊपर की सीढ़ी पर चढ़ने के लिये सहारा तब दिया जाता है जब लोगों को यह लगता है कि वे हमें पसंद करते हैं। आप जब भी एक दोस्त बनाते हैं, वह आपको एक इंच ऊपर पहुंचा देता है। और चूंकि आप पसंद किये जाते हैं, अतः ऊपर उठाते समय सामने वाले को वजन भी नहीं लगता| सफल लोगों के पास लोकप्रिय बनने की योजना होती है। क्या आपके पास है? जो लोग चोटी पर पहुंचते हैं वे इस बारे में ज्यादा नहीं बताते कि लोगों के बारे में अच्छा सोचने की उनकी तकनीकें कया हैं।
 परन्तु आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बहुत से महान लोगों के पास लोगों को प्रभावित करने की एक स्पष्ट, निर्धारित, यहां तक कि लिखित योजना भी होती है। प्रसिद्ध विद्वान डेव कोर्कट ने कहा है निश्चय रखिए कि आप उचित मार्ग पर हैं। तब फिर आगे बढ़ते जाइए, रुकिए नहीं। सारा समय दुविधा में तथा निश्चय करने में न नष्ट करें। जो लोग शीघ्र निश्चय नहीं करते, जो सदा ही दुविधा में पड़े रहते हैं, जो अपने ही मन की हालत को नहीं समझ सकते, जो दृढ़ और अंतिम निश्चय नहीं कर सकते उन्हें अपार कष्टों का सामना करना पड़ता है। उन पर संकट आते रहते हैं।
ऐसा देखा गया है जो लोग संसार में महान कार्य करते हैं वही दृढ़ निश्चयी होते हैं। वे अपना समय संदेह एवं निश्चय पर पुनः विचार करने में नहीं गंवाते ।जो सदा सोच में ही डूबे रहते हैं परन्तु करते कुछ नहीं। जो अनिश्चय की
उलझनों में फंसे रहते हैं ऐसे लोग कभी सफल नहीं होते। कभी-भी कष्टों मे मुक्ति नहीं पा सकते। इस संदेह को नष्ट करना बड़ा सरल है। इससे डरने की आवश्यकता नहीं। एक बार अपने मन को दृढ़ बनाकर उसमें आत्म-विश्वास पैदा कर लें तो यह संदेह तो टुकड़े-टुकड़े होकर अपने आप गिर जायेगा।यदि उस भूत ने तुम्हें घेर रखा है तो इसे जान से मारने का उपाय कीजिए, इसे तो एक क्षण भी जीवित न रहने दीजिए।
इसे स्पष्ट कह दीजिए कि ओपापी तूने मुझे बहुत सताया है, अब तुम्हारा-हमारा रास्ता अलग-अलग है। मैंने आज तक बहुत हानि उठाई है । तुमने सदा मेरे साथ विश्वासघात किया है। तुमने मुझे निकम्मा और अपाहिज बनाकर रख दिया। जाओ चले जाओ, मेरी दुनिया से निकल जाओ। मेरी यही सबसे बड़ी भूल थी कि मैं सदा से तुम्हारी बात ही मानता रहा। यदि मैं यह भूल न करता तो आज मैं भी एक सफल और महान इन्सान होता। तुमने ही मेरा भविष्य बिगाड़ा।
तुमने ही मुझे किसी योग्य नहीं रहने दिया।
अब मेरी जवानी की आयु खत्म हो गई है। ओ मेरे शत्रु! आज मुझे होश आ गया है। अब मैं तुम्हें अपने से दूर करके फिर से जीने का प्रयल करूंगा। मैं वह सब कुछ फिर से पा लूंगा जो तुम्हारे कारण खोया है। जाओ-जाओ-मुझसे दूर हो जाओ।
चले जाओ-मैं तुम्हारा खून कर दूंगा।

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