योग्यता की परख।

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इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बैंजमिन डिजरेली को कोई अवसर प्राप्त नहीं था। वह न धनवान था, मध्यमवर्ग का व्यक्ति था।

 

 

बस उठा, बढ़ा और मध्यमवर्ग से निकलकर अपने साहस से ऊंचे वर्ग में पहुंच गया।वहां भी नहीं ठहरा, फिर बढ़ा, यहां तक कि राजनीति तथा सामाजिक शक्ति के सबसे ऊंचे वर्ग में जाकर अकेला खड़ा हो गया। उसका प्रतिद्वन्द्दी कोई नहीं था।मगर अपने प्रथम भाषण के लिए लोकसभा में जब वह खड़ा हुआ तो उसके हक से दो शब्द ही निकल सके।संसद सदस्यों ने उसका उपहास किया और उसे उसकी उस असफलता पर धिक्कारा, मगर उसने जवाब में केवल यही कहा कि वह समय आयेगा जब तुम मेरे भाषण को बड़ी उत्सुकता से सुनोगे और ऐसा समय आया, तब वही नवयुवक जिसे कोई अवसर प्राप्त न था, अपने आत्मविश्वास की सहायता से बाजी जीत गया।

 

वह प्रधानमंत्री बना और पच्चीस वर्ष तक इंग्लैण्ड का सर्वेसर्वा बना रहा।हमें अपनी पवित्र बाइबिल बार-बार याद दिलाती है कि वह मात्र विश्वास तथा श्रद्धा ही थी, जिसके बल पर हजरत इब्राहिम, हजरत मूसा तथा बड़े-बड़े पैगम्बर चमत्कार दिखाते थे और ऐसे आश्चर्यजनक कार्य करते थे।बाइबिल में विविध स्थानों पर लिखा है कि जैसा विश्वास होगा वैसा ही कुछ  मिलेगा। ऐसा कोई कानून नहीं जिसके द्वारा आप सफलता प्राप्त करें।

 

 

आपको ‘अपने अन्दर सच्ची मांग उत्पन्न करनी होगी, अपने ऊपर पूर्ण विश्वास करना होंगा, वरना आप अभीष्ट स्थान तक नहीं पहुंच सकोगे।अपने पर विश्वास, ऊंचे कामों के लिए आधारशिला सिद्ध हुआ है। हर तरह के प्रत्यत्नों में इसी के बल पर चमत्कार हुए हैं। अगर अपनी योग्यता पर भरोसा है, यदि आपको विश्वास है कि कैसा ही ऊंचा काम क्यों न हो, उसे भली-भांति सम्पन्न कर सकते हैं तो अपनी बाह्य तथा आन्तरिक शक्तियों को क्रियाशील बनाइए ।अपने विचारों तथा प्रयासों का मुख, अपने आदर्श की ओर फेर दीजिए। फिर फोई वजह नहीं कि आप कामयाब न हों।

 

अमेरिका के प्रमिद्ध राजनीतिनक तथा धाराप्रवाह वक्ता श्री डेनियन बैबस्टर का बैयक्ति जौहर आत्मविश्वास था।जब उसने अपने जीवन के प्रारम्भ में जूनियों हैम्पशायर के गृप्त न्यायालय की पन्द्रह-सौ डॉलर मासिक क्लर्की पर ठोकर मार दी तो उसके पिता को बहुत क्रोध आया और साथ ही दुख भी हुआ।उसके पिता ने कॉलेज छोड़ने के बाद उस पद के लिए बहुत प्रयलन किया था और जब वहां से ऑफर आया तो पुत्र ने उसे अस्वीकार कर दिया।

 आखिरकार उसने प्रश्न किया-“’डेनियल, क्या तुम यह पद स्वीकार नहीं करना चाहते ? नहीं, पिताजी! मुझे यह स्वीकार नहीं।मुझे आशा है कि मैं इससे ज्यादा कमा सकता हूं, न कि कलम से। मैं एक्टर बनना चाहता हूं, दूसरे लोगों के कर्मों का रजिस्टर नहीं।डार्टमॉय कॉलेज में प्रविष्ट हुआ तो वैबस्टर सर्वथा निधन था। एक मित्र ने उसे बूट-पॉलिश की तरकीव लिख भेजी। वैबस्टर ने उसको धन्यवाद देते हुए उत्तर में लिखा-“’मित्र, मेरे बूटों का इलाज यह नहीं है, क्याकी इनमे न पानी घुस आता है बल्कि मटर के दाने भी ।”

 ऐसी परिम्थितियों में जीवनयापन करते हुए भी वह अपने इच्छित स्थान पर पहुंचकर रहा। उनकी गणना संसार की महान्‌ विभूतियों में की जाती है।सिडनी स्मिय का कथन है कि-“वैवस्टर एक जीवित भूत, चलता-फिरता धोखा था, क्योंकि उस जैसा महान्‌ व्यक्तित्व संसार में कहीं दिखाई नहीं देता।प्रसिद्ध अंग्रेज दाशंनिक और चिन्तक कार्लाइल ने उसके बारे में कहा था -“यदि उसका मत कुछ हो और समस्त संसार का मत उससे विरुद्ध हो, फिर भी एक समझदार और जागरुक व्यक्ति को उसके मत का समर्थन करने का दिल चाहता है।

आत्मविश्वास ने उसे दरिद्रता, निर्धनता तथा गुमनामी की अनंत पीड़ाओं से मुक्ति दिलाई और उसे देश का सर्वश्रेष्ठ राजनीतिज्ञ तथा कूटनीतिब्न बना दिया ।”हमारे अन्तर में विश्वास, एक ऐसी चीज है, जिसमे ज्ञान प्राप्त होता हे। विश्वास वह सब-क॒छ देख लेता है जिसे हमारे वाद्य नेत्र नहीं देख सकते।जो हमारी प्रकृति से लुप्त रहता है, यह हमारे शरीर के अन्दर एक पैगम्बर की तरह है, एक आध्यात्मिक पैगम्बर जो हर मनुष्य के साथ इसलिए नियुक्त है ताकि आजीवन उसकी अगुआई करता रहे और उसे उत्साहित व प्रेरित करता रहे।

वह हमें अपनी संभावनाओं की एक झलक-सी दिखा देता है, हमें हतोत्साहनहीं होने देता और कहता तो यही है कि बढ़ो तुम, कदम बढ़ाये चलो।हमारी आन्तरिक दृष्टि और हमारा विश्वास वह शक्तियां तथा साधन देख लेते हैं जो भय तथा शंकाओं के कारण हमारे बाद्य नेत्रों से ओज्ल रहतेहैं। हमारी आत्मिक दृष्टि का विश्वास दृढ़ होता है। वह भयभीत नहीं होती क्योंकि उसे मार्ग ज्ञात होता है और जो कठिनाई सामने है, वह उसका हल भी जानता है।

 उसने हमारे मनहारी जीवन की सरिता में और हमारे आध्यात्मिक साम्राज्य के सागर में डुबकी लगाई होती है। जिसका विश्वास दृढ़ होता है, उसके लिए कोई कठिनाई मार्ग अवरुद्ध नहीं कर सकती।वह सब काम कर सकता। क्योंकि वह अन्तर्चक्षुओं से देखता है, उस शक्ति को पहचानता है जिसे जानना मात्र ही किसी कार्यपूर्ति के समान है।याद रखें-जो लोग आपको बताते हैं कि इसे किया नहीं जा सकता, वे उपलब्धियों के मामले में हमेशा असफल लोग होते हैं, सदा औसत लोग होते हैं। इन लोगों के विचार विष की तरह होते हैं।
जो लोग आपको यह समझाना और विश्वास दिलाना चाहते हैं कि आप यह नहीं कर सकते, आपको उन लोगों के खिलाफ़ अपनी सुरक्षा का इंतजाम कर लेना चाहिये। नकारात्मक सलाह को मात्र चुनौती के रूप में स्वीकार करें और आप उस काम को करके दिखा दें। इस बारे में बेहद सावधान रहें नकारात्मक सोच वाले लोगों को अपनी सफलता की योजना बदलने का मौका न दें । नकारात्मक लोग हर जगह होते हैं और उन्हें दूसरों का बना बनाया खेल बिगाड़ने मे बड़ा मज़ा आता है।
हम किस प्रकार सोचते हैं, यह हमारे समूह से तय होता है। सुनिश्चित कर लें कि आप ऐसे समूह में हो जो सही सोचता है। आपके काम के माहौल में कई बाधाएं आयेंगी। हर समूह में ऐसे लोग होंगे जिन्हें अपनी अयोग्यता का एहसास होगा और वे आपकी राह में बाधा बनकर खड़े हो जाएंगे और आपको प्रगति नहीं करने देंगे। कई महत्वाकांक्षी लोगों की हंसी उड़ाई जाती है, उन्हें धमकाया तक जाता है और मात्र इसलिये क्योंकि वे लोग ज्यादा सफल होते हैं और ज्यादा काम करते हैं। हम इस बात को ठीक से समझ लें। कुछ लोग ईर्ष्या की वजह से आपको नीचा दिखाना चाहते हैं और वे. ऐसा इसलिये करते हैं क्योंकि आप सफलता की सीढ़ी पर ऊपर की तरफ़ चढ़ना चाहते हैं। अपने आसपास के ऐसे नकारात्मक सोच वालों को अनदेखा कर दें। अक्सर आपसे इस तरह की जो बातें कही जाती हैं, उनका उद्देश्य आपको नीचा दिखाना नहीं होता। वे तो केवल बोलने वाले की असफलता और निराशा
को प्रकट करती है। नकारात्मक सोच वाले लोगों को इस बात की छूट न दें कि वे आपको भी अपने स्तर तक नीचे ले आयें। उनकी बातों को उसी तरह से फिसल जाने दें जैसे बत्तख की पीठ से पानी फिसला करता है।
 इस तरह के लोगों से जुड़ें जो सकारात्मक सोचते हैं, जो प्रगतिशील सोच रखते हैं। उनके साथ ऊपर की तरफ़ बढ़ें।
आप भी ऐसा कर सकते हैं, बशर्ते कि आपकी सोच ठीक हो!
ऐसे मित्र चुनें जो छोटी, महत्वहीन बातों से ऊपर उठ सकते हों। जो लोग आपके विचारों या आपकी चर्चा के बजाय आपके घर के सामान या सजावट में रुचि लेते हैं वे छोटी मानसिकता के लोग होते हैं।अपने मनोवैज्ञानिक माहौल की रक्षा करें। ऐसे दोस्त चुनें जो सकारात्मक चीजों में रुचि रखते हों।ऐसे दोस्त चुनें जो आपको सचमुच सफल देखना चाहते हों। ऐसे दोस्त बनाएं : जो आपकी योजनाओं और आदर्शों में उत्साह भर दें।अगर आप ऐसा नहीं करते, अगर आप घटिया सोच वालों को अपना सबसे पक्का दोस्त बनाते हैं, – तो आप भी धीरे धीरे एक निम्न स्तरीय चिंतक में बदल जाएंगे। कर्मठ बनिये। काम करने वाला बनिये। काम टालने वाला मत बनिये।
‘ परिस्थितियों के आदर्श होने का इंतजार न कीजिये। वे कभी आदर्श नहीं होंगी। भविष्य की बाधाओं और कठिनाइयों की उम्मीद कीजिये और जब वे आयें, तब आप उनको सुलझाने का रास्ता खोजिये। | याद रखें, मात्र विचारों से सफलता नहीं मिलती । विचारों का मूल्य तभी है, जब आप उन पर अमल करें। भय भगाने और आत्मविश्वास प्राप्त करने के लिये कर्म कीजिये। जिस काम से आप डरते हों, वह कीजिये और आपका भय भाग जायेगा। कोशिश करके देखें। अपने मानसिक इंजन को मशीनी तरीके से चालू करें। सही मूड बनने का इंतज़ार न कीजिये। कर्म आरम्भ कर दीजिये और आपका मूड अपने आप सही हो जायेगा।
अभी काम शुरू करने के बारे में मत सोचिये। कल, अगले सप्ताह, बाद , में और इसी तरह के असफलता के शब्द “कभी नहीं” के पर्यायवाची हैं। इस- प्रकार का आदमी बनिये, “मैं अभी इस काम को शुरू कर देता हूं! काम में जुट जाइये। कर्म की तैयारी में समय बर्बाद न कीजिये। इसके. बजाय सीधे काम में लग जाइये।एक बार. जब आप किसी कार्य में तन-मन॑ . और पूर्ण आत्मविश्वास के साथ लग जाएंगे तो दुनिया की कोई ताकत आपकी सफलता में बाधक नहीं बन सकती।

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