मनोरंजन का महत्व

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प्रायः यह देखने में आता है कि अनेक लोग जरूरत से ज्यादा ही सोचते विचारते पाये जाते हैं। उनके जीवन से आमोद प्रमोद एवं मनोरंजन के क्षण लगभग समाप्त हो चुके होते हैं।

 

 

 

ऐसे लोग किसी भी कार्यलिय अथवा प्रतिष्ठान में दिन भर कार्य करते हैं तथा शाम को जब घर जाते हैं तब भी उनकी कायविधि समाप्त नही होती |वे बिस्तर पर पहुंचकर भी अपने कायलिय की समस्याओं से जूझते रहते हैं। अपने शरीर पर कार्य का इतना बोझ डालना कि थककर हमारा दिमाग कार्य करने से ही इंकार कर दे, निरा पागलपन है। motivation in hindi

 

दिमाग थक जाने पर हम जो भी कार्य करेंगे, उसमें शक्ति का सर्वथा अभाव पाया जाता है। इससे हमारी निर्णय शक्ति भी क्षीण हो जाती है।शारीरिक एवं मानसिक रूप से बुरी तरह थक जाने पर हम अपने पारिवारिक सदस्यों को उतना समय भी नहीं दे पाते, जितना कि उन्हें मिलने का अधिकार है।हमें अक्सर घर में भी रोजगार की चिन्ताएं घेरे रखती हैं। री चिन्ताओं के रहते हमारे दिन का चैन व रातों की नींदें गायब हो जाती |

 

अगर हम अगले दिन के लिए ताजादम होना चाहते हैं, तो हमें अपने परिवार के साथ हँसना, खेलना व आनन्दित रहना चाहिए।कायलिय से घर जाते समय थके हुए विचार एवं थका हुआ दिमाग अपने साथ ले जाना हमारी कायक्षमता के लिए अत्यन्त घातक हैं जिस प्रकार हम घर पहुंचकर अपनी पोशाक बदलते हैं ठीक उसी प्रकार अपने मानसिक विचारों को बदलकर अपने मस्तिष्क को आराम देना चाहिए। मनोरंजन का महत्व

 

घर पहुंचकर हमें शान्ति, ताजगी एवं जिन्दादिली से समय गुजारना चाहिए। यदि हम अपने कार्यालय की परेशानियों एवं चिन्ताओं को अपने साथ घर ले आते हैं, तो हमें सच्चे आनन्द एवं पारिवारिक मनोरंजन की प्राप्ति नहीं हो पाती। हमें चाहिएकि हम अपने घर जाकर खूब हँसे, खेलें व पारिवारिक मनोरज का लाभ उठायें। हमें यह सोचकर कि हम क्या कर सकते थे और हमने क्या नहीं किया अपनी अमूल्य शक्ति को नष्ट नहीं करना चाहिए ।मनोरंजन के लाभ और हानि

 

हमें घर जाकर एक ही बात सोचनी चाहिए–“यह मेरा पॉवर हाउस है। यहां मुझे कल के हम के लिए शक्ति, बल एवं उत्साह मिलता है। यहां मेरे आदर्श पॉलिस होते हम जब भी अपने कारखाने अथवा कायलिय को बन्द करें, अपनी परेशानियां भी उसी में बन्द कर देनी चाहियें। हमें ऐसी परेशानियों को अपने साथ क्लब में,

 

दोस्तों की महफिल में तथा खेल के मैदान में नहीं ले जाना चाहिए। घर के द्वार पर कदम रखते ही हमें यह सोचना चाहिए कि सामने की दीवार पर यह लेख लिखा है,“यहां व्यापार अथवा रोजगार के विषय में सोचा अथवा वार्तालाप करना कतई मना है।” वास्तव में पीछे झांकने की आदत भी हमारे लिए उतनी ही नुकसानदेय है जितनी कि बहुत अधिक आगे झांकने की आदत ।आज का दिन तो आज का ही है, हमें इसका भली-भांति सदुपयोग करना चाहिए। आज के दिन को सार्थक करने के लिए हमें अपनी बेहतर शक्ति लगानी चाहिए।

 

ऐसा होने पर हमें कल के लिए सोचने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी । यदि हम गुजरे हुए कल से प्रेरणा लेकर आज को संवार लेते हैं तो आने वाला कल निश्चय ही हमारे लिए खुशियों-भरा होगा। हमें दिन-भर जीतोड़ मेहनत करनी चाहिए । जब शाम को उठने लगें तो सूचना पट्टी पर लिख देना चाहिए–“सब ठीक है?” इस प्रकार हमें रात्रि में कोई परेशानी या चिन्ता नहीं सताएगी ।मनोरंजन अच्छी सोच

 

अब हमारा दिन का कार्य समाप्त हुआ, वह अतीत के गर्भ में जा चुका है तथा अब हमारा कोई सम्भव प्रयास उसे वापिस नहीं ला सकता।वह हमेशा के लिए जा चुका है-हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि पनचक्की कभी भी उस पानी से नहीं चल सकती, जो कि आगे बहकर निकल चुका है।कहने का अभिप्राय यह है बीते समय को याद करने से अब कोई लाभ नहीं है। हमें काम के समय काम तथा आराम के समय आराम ही करना शोभा देता है। .

 

मुझे एक विधवा स्त्री ने अपने उस जीवन की दुःखभरी दास्तान सुनाई, जो कि उस बेचारी ने अपने कंजूस पति के साथ गुजारा था।उसके पति को केवल एक ही धुन सवार थी कि वह अधिकाधिक धन जमा करे। वास्तव में उनका घर, घर नहीं रहा था। उसका पति घर में नित्य नई योजनाएं सोचा करता था तथा अधिकाधिक धन कमाने की योजनाएं तैयार किया करता था।

 

शाम को कार्यालय से घर आने पर वह इस बुरी तरह थककर चूर हो जाता था कि अपना सिर भी ऊपर नहीं उठा पाता था। वह इसके बावजूद भी आते ही व्यापार की बातें सोचने तथा योजनाएं स्थिर करने लगता था। इस तरह वह स्वयं को और भी थका लेता था। उसे अपना जो कार्य कार्यालय में छोड़ आना चाहिये था, उसे भी प्रतिदिन साथ ले आता था। उसकी विधवा ने अपनी करूण कथा सुनाते हुए बताया, “प्रायः आधी रात के बाद भी वह अपने रजिस्टरों पर झुका जागता रहता था। उसके खांसने की आवाज मैं सुनती रहती थी।

 

जब मुझसे न रहा जाता तो मुझे विवश होकर कहना पड़ता-इतनी मेहनत मत करो, अपनी सेहत का भी ख्याल करो, लेकिन मेरी बातों को वह अनसुनी कर देता था।” प्रायः वह कर्कश स्वर में कहता, “अभी मेरे हिसाब में एक आने की कमी है, उसे पूरा करके ही मैं सो सकूंगा। कई बार मैं खुद जमीन पर सिक्‍का गिरा देती व उठाकर अपने पति से कहती,यह लो मुझे फर्श पर पड़ा मिला है, लेकिन वह मेरी इस चालाकी को समझ जाता, गलती मालूम न होने तक भी वह प्रातः के नाश्ते तक बैठा हिसाब जोड़ता रहता था।”

 

भले ही उस विधवा का पति लखपति रहा हो, लेकिन उनका पारिवारिक जीवन सुखमय नहीं था। पारिवारिक प्रसन्‍नता एवं मनोरंजन उनसे कोसों दूर था। उसे अपने पारिवारिक जीवन से कोई लगाव न था। वह सभी प्रकार के मनोरंजनों से दूर रहकर सदैव सोचता, योजनाएं स्थिर करता तथा बड़बड़ाता रहता था।ऐसे ही एक रोज वह काल का ग्रास बन गया। मानसिक तनाव के कारण उसकी हृदय गति बन्द हो गयी थी। यह रात-दिन जागकर कमाया हुआ धन उसकी कोई सहायता न कर सका।

 

आज ऐसे व्यापारियों की कोई कमी नहीं है जो समझते हैं कि दिमाग हर समय सोच सकता है। जब अचानक उनका स्वास्थ्य गिरने लगता है तो उन्हं बड़ा आश्चर्य होता है। अक्सर वे 40 वर्ष तक पहुंचते-पहुंचते बूढ़े हो जाते हैं, लेकिन उनके चिकित्सकों को देखकर जरा भी हैरानी नहीं होती । क्योंकि वे उनके स्वास्थ्य बिगड़ने का कारण भली-भांति जानते हैं। कार्य करने की भी एक सीमा होती है। हमें कार्य से छुटी इसलिए कर लेनी चाहिए कि एक ही विषय पर अधिक देर तक सोचते रहने से हमारे दिमाग की काफी हानि पहुंचती है। जब हमारा मन उत्साह, ताजगी एवं संतुलन गंवा देता है तो समस्याओं में गहराई तक घुसने की क्षमता नहीं रह पाती।

 

अक्सर यह देखने में आता है कि कमान यदि हमेशा तनी रहे तो वह भी अपनी लचक खो देती हैं अतः के बाद उसकी डोरी को खोल देते हैं, क्योंकि उन्हें पता होता है कि जो कमान सदैव तनी रहती है, उसकी तीर छोड़ने की क्षमता समाप्त हो जाती है।हमारा मस्तिष्क भी एक कमान के समान है, उसका अधिक तने रहना भी ठीक नहीं है। मैं एक ऐसे व्यक्ति को भली-भांति जानता हूं जो कि जहां भी जाता है-वह सार्वजनिक सम्मेलन में हो या अपनी गाड़ी में वह अपने सेक्रेटरी को हमेशा साथ रखता हैं

 

वह उससे सदैव चिट्ठी-पत्री लिखवाता रहता हैं देखने से तो यह प्रतीत होता है कि उसका बड़ा भारी कारोबार है। लेकिन जो लोग उससे परिचित हैं उन्हें पता है कि वह एक मामूली से प्रतिष्ठान का स्वामी हैं साथ ही वह एक ऐसा अयोग्य व्यक्ति है, जोकि कार्यलिय की अवधि में अपना कार्य ठीक से नहीं निपटा पाता। हमें अपना प्रत्येक कार्य ठीक समय पर पूरा कर लेना चाहिए। समय की यही पुकार है। यदि हम आज का कार्य कल पर टाल देते हैं, तो हमारे दिमाग के लिए चिन्ता का एक नया विषय उत्पन्न हो जाता है इसलिए हमें अपने कार्य को ठीक समय पर समाप्त कर देना चाहिए।

 

यदि हम चाहते हैं कि हमारा जीवन अधिकाधिक सुखमय एवं समृद्ध बने, यदि हम अपने जीवन में आगे बढ़ने की कला सीखना चाहते हैं, तो हमें अपने कार्य को सही समय पर करना सीखना होगा।हमें काम के समय काम व आराम के समय आराम करना चाहिए। आमोद-प्रमोद एवं मनोरंजन को अपने दैनिक जीवन का अभिन्‍न अंग समझना चाहिए। ऐसा करके ही हम एक स्वस्थ व सफल जीवन गुजार सकते हैं।

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