जल्दबाजी हमेशा ओछे मन की प्रतीक होती है। यह इन्सान के लिये ” सबसे हानिकारक है। वैसे तो हमारे यहां भी यह आम कहावत है कि जल्दी का काम शैतान का होता है। एक बार मैं एक आदमी से उसकी जल्दबाजी की आदत के बारे में बातचीत कर रहा था। वह तुरन्त बोल उठाभाई तुम क्या जानो।
मैं तो वर्षों से इसी जल्दबाजी के सहारे काम चला रहा हूं। यह तो अब मेरी आदत ही बन गई है। मैं किसी भी काम में ढीलापन पसन्द नहीं करता ।
घर पहुंचकर जब मैं खाना खाकर टहलने को जाता हूं तो मेरा खाना हजम नहीं होता, उसमें भी मैं तेज ही चलना पसंद करता हूं। अब तो यह जल्दबाजी मेरे जीवन का नियम बनकर रह गई है। यह आदमी इतना तनावग्रस्त रहता है कि कई बार अनजाने में ही अपने आप मुट्ठियां भींचता दिखाई देता है। इसका कारण यही है कि वह प्रत्येक कार्य में जल्दबाजी करता है।
अनेक व्यक्ति जल्दबाजी में ही अपने शरीर के अन्दर की नाड़ियों को भी कसे रखते हैं। जिससे उनके स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। उनकी मांस-पेशियां खिंची रहती हैं। उनके मन में बेचैनी और उंतावलापन और बढ़ जाता है। हृदय रोगों के विश्वप्रसिद्ध डॉक्टर का विचार है कि जो लोग तीन चीजों – को छोड़ दें उन्हें हदय रोग कभी नहीं होता।
1. जल्दबाजी
2.चिन्ता
3.घी वाले खाने
कुछ व्यापारियों में ऐसी रुंचि देखी गई है कि वे हर वक्त अपने कारोबार को तेजी से आगे बढ़ाने की बात सोचते हैं। जैसे आदमी बहुत तेज दौड़ता है वैसे ही वे लोग तेज दौड़ना चाहते हैं। जरा भी विश्राम नहीं करते। इस प्रकार के लोगों में धीरे-धीरे एक रोग उनके शरीर के अन्दर पलना आरम्भ हो जाता है। अनेक लोगों को इसका पता नहीं चलता। वे समझ नहीं पाते कि किस शक्ति द्वारा इसे आगे ही आगे धकेले जाते हैं। यदि मार्ग में इनकी भेंट किसी से हो भी जाए तो उनके पास बात करने की भी फुर्सत नहीं होती।
बस आपसे जरा सी बात करते ही घड़ी की ओर नजर दौड़ायेंगे। अरे भाई क्षमा करना, मैं बहुत जल्दी में हूं। मुझे जरा किसी साहब से मिलने के लिये जाना है।अगर मैं समय पर न पहुंचा तो मेरा बहुत नुकसान हो जाएगा। ऐसे लोग हर वक्त जल्दबाजी में ही रहेंगे। ऐसा प्रतीत होता है कि जल्दबाजी की यह शक्ति कोड़े मार-मारकर आगे दौड़ने पर मजबूर कर रही है।ऐसे लोगों की हालत बड़ी दयनीय होती है। उनकी तुलना उस हिरण से भी की जा सकती है जो शिकारी के भय से अन्धाधुंध भागा जा रहा हो। भले ही निरन्तर दौड़ने से उसकी दौड़ने की शक्ति कम हो गई है। मगर फिर भी वह भागता है,
जल्दबाजी और चिन्ता हमारे जीवन का अंग बन चुके हैं परन्तु खुशी और स्वास्थ्य के सबसे बड़े शत्रु हैं। दिल की बीमारी तथा मस्तिष्क विकार पक्षाघात आदि रोग इसी जल्दबाजी के कारण आते हैं। ऐसे रोगी को या तो उसी समय अस्पताल पहुंचाया जाता है या फिर बिस्तर पर ही मर जाते हैं।एक आदमी के बारे में यह भी सुना गया है कि वह सुबह का समय बचाने के लिए रात को ही सुबह का खाना खा लिया करता था।
अब जरा सोचिए-ऐसे लोगों के बारे में आप क्या कहेंगे? ऐसे लोग मात्र जल्दबाजी की खातिर ही अपने शरीर को नष्ट करने पर तुले रहते हैं।केवल जरा सा समय बचाने के लिये सुबह का खाना रात को खाकर अपने स्वास्थ्य को नष्ट करने वाले लोग मूर्ख नहीं तो और क्या हैं? जल्दबाजी
करने वाले लोग स्वभाव से ही चिड़चिड़े हो जाते हैं। चिड़चिड़ेपन के साथ उन्हें क्रोध भी आ जाता है। यह दोनों चीजें भी स्वास्थ्य
के लिए बहुत ही गलत मानी जाती हैं। अनेक व्यक्ति धीमी गति से भोजन किया करते हैं। उनका यह मत है” कि जल्दी-जल्दी खाने से हाजमा खराब होता है। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो-चाय अथवा भोजन के साथ-साथ काम भी करते रहते हैं। यह तो और भी बुरी बात है। एक व्यक्ति जब सुबह के वक्त दफ्तर को जाता है और मन में यह इच्छा लेकर चलता है कि आज मैं सर्वोत्तम काम करूंगा।
इसी कारण वह बहुत छोटी-छोटी बातों की चिन्ता करता रहता है। यही चिन्ता उसकी शत्रु होती है। वह यह बात नहीं समझता। उसे तो अपने काम ‘ से मतलब है। जब तक किसी के मन में संतुलन न हो तो तब तक कोई भी आदमी उल्लेखनीय कार्य नहीं कर सकता । एक आम मालिक में अवश्य ही यह योग्यता होती है कि वह अपने कर्मचारियों को कैसे काम करने दे।
कभी भी अपने नौकरों को जल्दबाजी से काम करने के लिए न कहे । यह बात उसे पल्ले बांध लेनी चाहिए कि जल्दबाजी में कोई भी हानि हो सकती है। हर वक्त गुस्सा करने, डांट-डपट करने से हो सकता है कि नौकर ऐसी जल्दबाजी का शिकार हो जाए कि वह कहीं रुके ही नहीं और काम बिगड़ता चला जाये।मन से ही काम का सम्बन्ध होता है। मन की जल्दबाजी तन को भी नुकसान पहुंचा सकती है। कभी-कभी तो मैंने यह भी देखा है कि जल्दबाजी में बड़ी-बड़ी दुर्घटनायें भी हो जाती हैं। कई लोग गाड़ी चलाते समय जब एक-दूसरे से आगे निकलने की कोशिश करते हैं तो उस समय दुर्घटना भी हो जाती है जिससे आपके जीवन को खतरा है।
क्यों अपने जीवन के लिये खतरा मोल लेते हैं? क्यों अपने काम खराब करते हैं? क्यों अपने स्वास्थ्य को बिगाड़ते हैं? क्यों नहीं जल्दबाजी छोड़ देते ? जल्दबाजी आपका भयंकर शत्रु है। यदि जीवन में प्रसन्न, और स्वास्थ रहना तो है इस व्यर्थ की जल्दबाजी का त्याग करना ही होगा।